कागजों में दम तोड़ते नियम कानून

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जमीन के फर्जीवाडे बदस्तूर जारी

सरोजिनी नगर, लखनऊ ।
राजधानी लखनऊ की बहुचर्चित सरोजिनी नगर तहसील जमीनी कारोबार के भ्रष्टाचार में आकंठ डूबी हुई है। तेजी से विकसित हो रहे क्षेत्र में सरकारी जमीन पर ताबड़तोड़ बिल्डर, बड़े प्रॉपर्टी डीलर धड़ल्ले से काम कर रहे हैं। सरोजिनी नगर के कुछ गांवो मे जनता द्वारा लगातार शिकायत करने पर तहसील प्रशासन को मजबूर होकर वहां तक जाना पड़ा, जहां दबंग भू माफिया प्रॉपर्टी डीलर बिल्डर, ग्राम समाज की पशुचर, तालबी, आदि भूमि पर काम कर रहे थे । पिनवट, धावापुर खसरवारा, जैतीखेड़ा, भद्ररसा, बिजनौर, अमौसी, माती आदि तमाम गांव के प्रकरण पूरी तहसील के संज्ञान में है जिन पर भूमाफिया, बिल्डर, प्रॉपर्टी डीलरो ने तहसील में शिकायत के बाद दूनी गति से काम किया है। जहां यह बताना जरूरी है कि लेखपाल द्वारा कार्यवाही करवा करवा कर फिर उसे कैसे बचाया गया, बड़े बिल्डर प्रॉपर्टी डीलर भू माफिया जानते हैं, कि सरोजिनी नगर तहसील में सरकारी कार्यवाही होने के बाद क्या करना है कि प्रशासन बैक फुट पर चला जाता है। कुछ महीने पूर्व हुई बिजनौर के दाहिने नगर निगम तहसील द्वारा हुई कार्यवाही के बाद सीमेंटेड बाउंड्री लगवा कर जमीन पर फिर काम शुरू हो गया। बाई तरफ के बड़े बिल्डर पर बड़ी हिम्मत कर लेखपाल ने मुकदमा दर्ज करवाया किन्तु उसके रसूख और पैसे के आगे लेखपाल का ट्रांसफर कर सब कुछ क्लीन किया जा रहा। वह धड़ल्ले से बिल्डिंग बनाते जा रहा। बताते हैं उसकी सिटी में कई तहसीलदार और एसडीएम के मकान है। वह ग्राम सभा के जमाने से गेटेड कॉलोनी बनाते हैं। वह किसानों को मजबूर लाचार कर जमीन लेते हैं, क्योंकि सरकारी रास्ता बंद करने का अघोषित अधिकार उन्हें प्राप्त है, उन्हीं की तरह उनके कई और साथी सहयोगी जमीन का मजबूत काम कर रहे है। विश्वत्र सूत्र बताते हैं कि बिजनौर क्षेत्र में कुछ कार्यवाही तो उन्होंने ही करवाई है। बिजनौर की ग्राम सभा की बड़ी-बड़ी जमीनों पर तेजी के साथ बड़े-बड़े प्लांट और मकान पर तेजी के साथ काम चल रहा है। प्रशासन की मुकदर्शिता पर अवैध बस्ती मुस्कुरा रही है। इस बस्ती में ज्यादातर अन्य प्रदेशों के लोग हैं जांच करने पर विदेशी बांग्लादेशी भी हो सकते हैं। रहीमाबाद वाले प्रॉपर्टी डीलर पर शिकायत के बाद कार्यवाही तो दूर उल्टे किसान हलकान परेशान हो जाता है क्योंकि उनके इशारे पर किसानो पर झूठे मुकदमे तत्काल दर्ज हो जाते हैं, इनकी पान की पिचकारी से तहसील और थाने रंगीन है। इन पर बिना जमीन का पूरा पैसा दिए बेच कर विकसित कर दिए जाने की कई शिकायत लंबित है। पिनवट, भदरसा, जैती खेड़ा, बंथरा आदि जगहो पर शिकायत के बाद कार्यवाही ना कर पाने वाला प्रशासन शनिवार में तहसील दिवस तक शिकायत के बाद रविवार को माती गांव में तालाब की जमीन पर मकान खड़ा होने से नहीं रोक पाया। बताते हैं तहसील के आदेश थाने पर सुरक्षित करवाने की भी कोई व्यवस्था होती है। दिन भर चक्कर काटने वाली पुलिस, लेखपाल जानकर भी आदेश दबाए मूकदर्शक बने रहते हैं। सरोजिनी नगर तहसील की कुछ कार्यवाहियां तो सरकार के वृक्षारोपण की तरह हुई, जैसे वृक्षारोपण अभियान चलता है बताया जाता है कि कई करोड़ पेड़ लगे। लेकिन अगले साल उन पेड़ लगे क्षेत्रों में जाओ तो पता चलता है की घास भी सुरक्षित नहीं है। ऐसे ही अवैध प्लाटिंग और मकानों को कार्यवाही के बाद रोक पाने में सरोजिनी नगर तहसील प्रशासन नाकामयाब रहता है। बिजनौर, नटकुर, , धावापुर, पिनवट, जैती खेड़ा आदि ग्राम सभाओं की सरकारी जमीन का क्रय विक्रय कर चुके भूमाफियाओं पर कार्यवाही न होने से मनोबल बड़े हुए हैं, सरोजिनी नगर क्षेत्र में फर्जीवाड़ा कर जमीन लिखवाना और सरकारी जमीन पर कब्जा कर लेना एक बड़ा व्यवसाय बन चुका है।

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