वाराणसी: दशाश्वमेध घाट पर एनडीआरएफ (राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल) की सतर्कता और त्वरित कार्रवाई का उदाहरण देखने को मिला। एनडीआरएफ ने 52 वर्षीय महिला श्रद्धालु मल्लिका पूर्कैट स्नान से पहले ही अचानक कम रक्तचाप की वजह से बेहोश हो गईं। घाट पर तैनात एनडीआरएफ की टीम ने बिना समय गंवाए उन्हें प्राथमिक उपचार प्रदान किया और उनकी स्थिति को स्थिर किया। इसके बाद महिला को उन्नत उपचार के लिए अस्पताल भेजा गया।
एनडीआरएफ की यह कार्रवाई मानव जीवन को बचाने की उनकी प्रतिबद्धता और दक्षता को दर्शाती है। उनकी त्वरित प्रतिक्रिया ने न केवल पीड़िता की जान बचाई, बल्कि घाट पर मौजूद अन्य श्रद्धालुओं के बीच भी सुरक्षा का विश्वास स्थापित किया। उपमहानिरीक्षक मनोज कुमार शर्मा के दिशा-निर्देशन में एनडीआरएफ के बचावकर्मी काशी के गंगा घाटों की लगातार निगरानी करते हैं। उनकी टीम किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए चौबीसों घंटे तैयार रहती है।
दशाश्वमेध घाट पर एनडीआरएफ की यह सराहनीय पहल उनके आदर्श वाक्य “आपदा सेवा सदैव तत्पर” का जीवंत उदाहरण है। यह घटना न केवल एनडीआरएफ की दक्षता को उजागर करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि संकट के समय में उनकी तत्परता कितनी महत्वपूर्ण है।।।