12वें सन्त कँवरराम शीतकालीन रैन बसेरा का शुभारम्भ निर्धन निराश्रितों को सुरक्षित एवं आधुनिक शीतकालीन रात्रि आश्रय।
मानवता के मसीहा अरम शहीर सन्त कँवरराम साहिब के प्रदर्शित सेवा मार्ग में अपनी
श्रद्धा समर्पित करने की भावना के साथ स्थापित सन्त कँवरराम सेवा मण्डल विगत 11 वर्षों से
मानव सेवा के क्षेत्र में अपना यथा समर्थ योगदान देता आया है।
सेवा मण्डल के उपाध्यक्ष प्रीतम वलेचा ने बताया कि सन्त कँवरराम साहिब को समर्पित विभिन्न सेवाओं की श्रृंखला में पिछले 11 वर्षों से रैन बसेरे में लगभग दो लाख लोग रात्रि आश्रय सेवा का लाभ प्राप्त कर चुके है।
संस्था के वरिष्ठ सदस्य सतेन्द्र भवनानी ने बताया कि इस वर्ष नहर चौराहे पर पुल बनने के कारण रैन बसेरा सन्त कँवरराम चौराहा आलमबाग में लगाया जा रहा है। रैन बसेरे की सेवा का शुभारम्भ दिनांक 24.11.2024 सायं 6 बजे शिव शान्ति सन्त बाबा आसुदाराम आश्रम के साई मोहन लाल जी व साई हरीश लाल जी एवं माननीय महापौर सुषमा खड़कवाल जी के शुभ करकमलों से हुआ। यह रैन बसेरा पूर्णतः सुरक्षित है। यहां 24 घंटे सी.सी.टी.वी. कैमरा के साथ आगन्तुकों का प्रविष्ट रजिस्टर बनाया जाता है। जिसमें नाम पता व पहचान पत्र अंकित किया जाता है। यहां भोजन, चाय, गर्म कपड़ो इत्यादि का विवरण समाज के लोगों के द्वारा लगभग रोज ही किया जाता है।
सेवा मण्डल के अध्यक्ष श्री अमर अठवानी ने सूचना देते हुए कहा कि सेवा शुभारम्भ के
इस मौके पर वरिष्ठ अतिथियों के रूप में कैण्ट के पूर्व विधायक श्री सुरेश चन्द्र तिवारी, भारतीय पत्रकार एवं मानवाधिकार परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे,बी, सिंह विशेष कार्याधिकारी एम, एल, त्रिपाठी सहित ऑल इंडिया न्यूजपेपर एसोसिएशन आईना के प्रदेश अध्यक्ष परमजीत सिंह उपाध्यक्ष अनिल तिवारी सचिव हेमंत चांदनी संयुक्त सचिव मोहम्मद अतहर राजा तथा प्रदेश अध्यक्षा महिला प्रकोष्ठ आईना गुरमीत कौर ने बढ़ चढ़कर सहभागिता की ,सिन्धी अकादमी के पूर्व उपाध्यक्ष श्री नानक चन्द लखवानी, पार्षदगण श्री पीयूष दीवान एवं गिरीश मिश्रा उपस्थित थे।
सेवा मण्डल के उपाध्यक्ष श्री मनोज पंजाबी, कोषाध्यक्ष श्री वीर चन्दानी, मुरलीधर अहूजा, अशोक चांदवानी, दीपक चांदवानी, हेमन्त चंदानी, अजीत जोगी, दर्पण लखवानी, दिनेश लक्षवानी, मनमोहन अहूजा, तरून सांग्यानी मुख्य अतिथि समेत पधारे। नगर व समाज के समस्त वरिष्ठ एवं गणमान्य व्यक्तियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि जब किसी कार्य में बड़ों का आशीर्वाद मिलता है तो कार्यकर्ता विशेष ऊर्जा के साथ सम्पादित करने में समर्थ हो जाते है और उन्हे अपने परिश्रम का बिल्कुल आभास नहीं होता है।