भरत का एक ही मंत्र मेरे तो राम दूसरा न कोई

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*यह सुन दर्शकों के झलके आंसू
*त्याग और भ्रात प्रेम की मूर्ति भरत
*प्रभु श्री राम के अनुज भरत के लगे जयकारे
*मधुसूदन यादव*
जसवंतनगर।यहां की अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त ऐतिहासिक मैदानी रामलीला में लीलाएं आरंभ हो गई है।
शुक्रवार को शिव मंदिर पर हुयी राम के वन गमन,पुत्र वियोग में पिता दशरथ के स्वर्गवासी होने और श्री राम सीता और लक्ष्मण को नदी पार करने,राम और केवट संवाद की जीवंत लीला बाकायदा नाव से कराई गई जो आकर्षण का केंद्र रही।
ननिहाल से लौटे भरत शत्रुघन को जब भाई राम के 14 वर्ष के लिए वनवास चले जाने और पिता के मरण की खबर मिलती है तो वह राम को वनवास से लौटाने के लिए वन के लिए रवाना होते हैं।शनिवार को रामलीला मैदान में इस लीला के साथ बाकायदा मैदानी लीलाएं शुरू हुई और राम और भरत के बीच का संवाद बड़े ही मार्मिक ढंग से प्रस्तुत किया गया। भरत अपने बड़े भाई राम से वापस लौटने का बार बार आग्रह करते हुए कहते हैं कि मेरे तो राम दूसरा ना कोई। यह सुन उपस्थित दर्शकों की आंखों में आंसू छलक आए।अपने पिता के आज्ञाकारी पुत्र का आदर्श प्रस्तुत करते हुए बड़े भाई राम किसी भी सूरत में अयोध्या लौटने को तैयार नहीं होते हैं।अंततः राम द्वारा दी गई चरण पादुकाएं सिरोधार्य कर भरत अयोध्या वापस लौटे।मेला मैदान में उपस्थित दर्शक राम भरत की जयकारों के साथ भावुक मन से कहने लगे भरत जैसा दुनिया में त्याग और भ्रात प्रेम की मूर्ति कोई नहीं।अयोध्या लौटने पर भरत अपने बड़े भाई की चरण पादुकाएं राजगद्दी पर रखकर राजा मान अयोध्या नगरी में प्रभु श्री राम को राजा घोषित करने का उद्घोष कराते हैं।शनिवार की लीला यहीं समाप्त हुयी।लीलाओं का निर्देशन प्रबंधक राजीव गुप्ता बबलू,विधायक प्रतिनिधि ठाo अजेंद्र सिंह गौर,राजीव माथुर,रतन पांडे, निखिल गुप्ता ,तरुण मिश्रा प्रभाकर दुबे आदि ने निभाई। कल यानी रविवार को जयंत आंख फूटना और विराट वध की लीला का प्रदर्शन होगा।

फोटो: प्रभु श्री राम की चरण पादुकाएं भरत अपने सिर पर ले जाते हुए

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