सुल्तानपुर जनपद के अखण्डनगर क्षेत्र के ग्राम खानपुर पिलाई में 21 अक्टूबर की शाम घटित वह घटना, जिसमें वृद्ध उमाशंकर दुबे की लाठी-डंडे से पीटकर हत्या कर दी गई, आज हमारे ग्रामीण समाज की संवेदनहीनता और प्रशासनिक ढिलाई दोनों पर प्रश्नचिह्न बनकर खड़ी है। कई दिन बीत जाने के बाद भी ज्ञात आरोपियों पर ठोस कार्रवाई न होना उस तंत्र की निष्क्रियता का प्रमाण है जो न्याय को अब भी विलंबित करता है।
इस अमानवीय कृत्य के बाद जब शव गांव पहुंचा, तो पीड़ित परिवार और ग्रामीणों में आक्रोश फैल गया। देर रात तक गांव पुलिस छावनी में तब्दील रहा और चार घंटे चली वार्ता के बाद ही दाह संस्कार संभव हो सका। यह दृश्य किसी प्रशासनिक विफलता का प्रतीक मात्र नहीं, बल्कि उस दर्द का आईना है जो आमजन व्यवस्था के प्रति महसूस करते हैं।
इसी पीड़ा को सुनने और आवाज़ देने पहुंचे अंतरराष्ट्रीय हिंदू शक्ति सेवा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित मनोज कुमार शुक्ल। उन्होंने पीड़ित परिवार से मिलकर कहा — “मैं आपके परिवार का सदस्य हूं और आपकी न्याय की लड़ाई लड़ूंगा।” उनके साथ प्रदेश अध्यक्ष पंडित आनंद तिवारी, महिला शाखा की प्रदेश अध्यक्ष कंचन शुक्ला, जिला अध्यक्ष धर्मेंद्र शर्मा, डा. सुभाष राजभर, रामनिधान यादव, शशिकांत शर्मा, प्रदीप मिश्रा, अजय कुमार तिवारी, घनश्याम तिवारी, गिरिजेश तिवारी, रेनू, राजप्रसाद तिवारी, प्रभाकर शुक्ल, हरीश दुबे, प्रभाकर चंद्र शेखर शुक्ल, आदेश मिश्रा, पंडित नीरज मिश्रा, गुड्डू शुक्ला, बबऊ दुबे, आकाश दुबे, अनिल सिंह और श्याम बहादुर सिंह सहित अनेक गणमान्य उपस्थित रहे।
राष्ट्रीय अध्यक्ष ने घोषणा की कि संगठन पीड़ित परिवार को निशुल्क कानूनी सहायता देगा और मुख्यमंत्री, संबंधित मंत्री व गृह सचिव को लिखित शिकायत सौंपेगा। उनका कथन — “आज ये लाठी चला रहे हैं, कल गोली चलाएंगे यदि कार्रवाई न हुई” — केवल आक्रोश नहीं, बल्कि चेतावनी है कि यदि व्यवस्था मौन रही, तो अन्याय का साहस और बढ़ेगा।
गांव के लोगों ने संगठन की इस पहल को आशा की किरण बताया। वर्षों से उपेक्षित ग्रामीणों में अब न्याय के प्रति विश्वास लौटता दिख रहा है।
सच यह है कि समाज में न्याय केवल अदालतों की फाइलों में नहीं, जनचेतना की आवाज़ में भी बसता है। अंतरराष्ट्रीय हिंदू शक्ति सेवा ने इस घटना में जिस दृढ़ता और संवेदनशीलता का परिचय दिया है, वह बताता है कि जब प्रशासन चुप रहता है, तो समाज के सजग लोग ही न्याय की मशाल थामते हैं।
