बागपत, उत्तर प्रदेश। विवेक जैन।
बागपत के प्रमुख तीर्थ स्थलों में शुमार रामायणकालीन लवकुश जन्म स्थली के महंत श्री श्री 1008 डाक्टर स्वामी महामण्ड़लेश्वर अनंतेश्वर गिरी जी महाराज का पशु प्रेम किसी से छिपा हुआ नही है। वह प्रतिदिन अपने व्यस्त समय में से गौसेवा, वानर सेवा आदि के लिए समय निकाल ही लेते है। अनंतेश्वर गिरी जी महाराज ने गाय की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए बताया कि गाय में सभी देवी देवताओं का वास होता है। गाय के शरीर में 33 करोड़ देवी-देवता निवास करते है। धार्मिक ग्रन्थों में गाय को दिव्य माना गया है और मॉं का दर्जा प्रदान किया गया है। गाय को पृथ्वी, ब्राह्मण और देव का प्रतीक व गायत्री मॉं का रूप भी माना जाता है, इसी कारण हम लोग गाय को गौमाता कहकर पुकारते है। गाय के शरीर से हमेशा दैवीय ऊर्जा निकलती है। अनंतेश्वर गिरी जी महाराज ने कहा कि शास्त्रों में गाय को कामधेनु के रूप में सभी इच्छाओं को पूरा करने वाला भी बताया गया है। गाय की सेवा करने से नवग्रह प्रसन्न रहते है। भगवान शनि के कुप्रभाव से बचने के लिए गौ माता का दान करना चाहिए। गौ माता का दान करने से सभी अनिष्ट कट जाते है। कहा कि सनातन धर्म में श्राद्ध कर्म के दौरान गौ दान किया जाता है। श्री श्री 1008 डाक्टर स्वामी महामण्ड़लेश्वर अनंतेश्वर गिरी जी महाराज ने कहा कि घर में गौ माता को लाने, उनकी सेवा करने से अनेकों कष्टों से मुक्ति मिलती है और परिवार में सभी का मंगल होता है। कहा कि अगर किसी व्यक्ति में गौ माता को घर लाने की सामर्थ्य नही है तो वह अपने घर के नजदीक बनी गौशालाओं में जाकर गौमाता की सेवा कर सकता है। श्री श्री 1008 डाक्टर स्वामी महामण्ड़लेश्वर अनंतेश्वर गिरी जी महाराज ने सभी से आहवान किया कि आजकल की भागदौड़ के व्यस्त जीवन में जीने वाले लोग यह सुनिश्चित करें कि वह सप्ताह में एक बार गौशाला में जाकर गौमाता की सेवा अवश्य सेवा करें। कहा कि धर्म और संस्कृति हमारी पहचान है और इसको सुरक्षित करना हमारा सर्वप्रथम कर्तव्य है।