बाबा शाहमल की वीर गाथा को स्कूली पाठयक्रम में शामिल किया जाए – रमेश कुमार

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  • बाबा शाहमल एक ऐसे लीड़र थे जिनको हर धर्म-सम्प्रदाय के लोगों का समर्थन प्राप्त था और बाबा शाहमल ने कभी भी धर्म-सम्प्रदाय, छोटे-बड़े और ऊॅंच-नीच के आधार पर किसी से कोई भेदभाव नही किया – रमेश कुमार – बाबा शाहमल के वंशज
  • वर्ष 1993 में रमेश कुमार भारतीय सेना में सिपाही के पद पर तैनात हुए और 31 अगस्त वर्ष 2019 को वह एसीपी नायब सुबेदार पद से सेवानिवृत्त हुए। रमेश कुमार ने पैरा कमांड़ो और एनएसजी कमांड़ो रहते हुए भारतीय सेना में निभायी महत्वपूर्ण भूमिका

बागपत, उत्तर प्रदेश। विवेक जैन।
1857 की क्रांति के महानायक बाबा शाहमल के वंशज व भारतीय सेना के रिटायर्ड कमांड़ो रमेश कुमार ने बाबा शाहमल की वीर गाथा को स्कूली पाठयक्रम में शामिल करने और बाबा शाहमल पर शोध संस्थान बनाने की मांग की है। रमेश कुमार जनपद बागपत के बिजरौल के निवासी है। रमेश कुमार के पिता का नाम सुखवीर सिंह, दादा का नाम रिसाल सिंह और पड़दादा का नाम इज्जत सिंह है। रमेश कुमार 8 भाई और 3 बहन है। 8 भाईयों में से एक भाई का स्वर्गवास हो चुका है। बाकी 7 भाईयों में से 4 भाईयों ने भारतीय सेना में रहकर देश की सेवा की। 2 भाई प्रकाश और सुरेशपाल बिजरौल गांव में ही खेती करते है और 1 भाई कृष्ण कुमार भगवान भक्ति में सेवा प्रदान कर रहे है। रमेश कुमार के दादा रिसाल सिंह के 4 बेटे व 2 बेटी थी। रमेश कुमार के पड़दादा इज्जत सिंह के 1 बेटा था जिसका नाम रिसाल सिंह था। रमेश कुमार ने बताया कि वर्ष 1989-90 में उन्होंने जय जवान जय किसान जूनियर हाई सेकेन्ड्री स्कूल हिसावदा से दसवीं की परीक्षा उत्तीर्ण की और उसके बाद भारतीय सेना में भर्ती की तैयारी प्रारम्भ की। वर्ष 1993 में वह भारतीय सेना में सिपाही के पद पर तैनात हुए और वर्ष 2016-2017 में एसीपी नायब सुबेदार पद पर तैनात हुए। 31 अगस्त वर्ष 2019 को वह एसीपी नायब सुबेदार पद से सेवानिवृत्त हुए। वर्ष 1995 से वर्ष 2000 में वह पैरा कमांड़ो रहे। इसके बाद भारतीय सेना की और से भूटान गये और वर्ष 2011 में वापस आने पर एनएसजी में कमांड़ो बने। भारतीय सेना में रमेश कुमार की सियाचीन ग्लेशियर बैस कैंप, कारगिल, श्रीनगर राश्ट्रीय राईफल आरआर, पुंछ के पास सुन्दर बनी, भूटान, आगरा, बंगाल में डोकलाम, मेरठ आदि स्थानों पर पोस्टिंग रही। भारतीय सेना में उन्होंने अपना अहम योगदान दिया। इस बीच अनेकों प्रतियोगिताओं में उन्होंने अनेकों पदक प्राप्त किये और भारतीय सेना द्वारा सम्मानित किये गये। आर्मी से वापस लौटने के बाद बिजरौल गांव में उन्होंने घर निर्माण का कार्य प्रारम्भ किया। इस बीच कोविड़ जैसी महामारी में उन्होंने लोगों की हर सम्भव सहायता की। रमेश कुमार ने कहा कि वह बाबा शाहमल जी द्वारा दिखाये रास्ते पर चल रहे है। कहा कि बाबा शाहमल बिजरौल गांव, जनपद बागपत और देश की शान है। बाबा शाहमल एक ऐसे लीड़र थे जिन्हें हर धर्म और जाति के लोगों का समर्थन प्राप्त था। बाबा शाहमल ने भी कभी भी धर्म-सम्प्रदाय, छोटे-बड़े और ऊॅंच-नीच के आधार पर कभी भी किसी से कोई भेदभाव नही किया। रमेश कुमार के 1 बेटा और 1 बेटी है। बेटा सुमित तोमर भी भारतीय सेना में अपनी सेवाएं प्रदान कर रहा है।

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