तुम हमारी कसम तोड़ दो,हम तुम्हारी कसम तोड़ दें…

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*गीतों के राजकुमार विष्णु सक्सेना ने श्रोताओ को किया सम्मोहित
*गजलकार शबीना अदीव ने बांधा समा
*श्रोताओं ने काव्य रचनाओं का उठाया लुफ्त

जसवंतनगर।श्री रामलीला समिति द्वारा प्रायोजित अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में आए कवियों ने श्रोताओं को हास्य व्यंग्य व गीत की रचनाओं से खूब गुदगुदाया,भरे पंडाल में लोटपोट होने को मजबूर कर दिया।कवि सम्मेलन की पहली प्रस्तुति लखनऊ की कवियत्री साक्षी तिवारी ने सुरीली आवाज में मां शारदे का आवाह्नन कर “स्वर पर सवार होके कंठ का श्रंगार होकर,आओ मां शारदे से” की।कवि चौपाल फेम इटावा की उभरती हुई कवियत्री प्रतीक्षा चौधरी ने मां सरस्वती के पुत्र व पुत्रिओ को आगाह करते हुए गाया कि “चंद स्वार्थ साधने को बेचते हैं लेखनी को,जो मां शारदे उनको कभी लाल न जानेगी” पर मंचासीन कवियों के साथ सभी की तालियां बटोरी।अंतर्राष्ट्रीय कवियत्री गजलकार शबाना अदीव की मधुरमय प्रस्तुति
” शहर के दुख से अनजान कोई नहीं, कैसे कह दूं परेशान कोई नहीं।
वह जो आपस में लड़ते हैं,उस भीड़ में आदमी सब है,इंसान कोई नहीं”।।
“अपना गम इस तरह कम कीजिए, दूसरों के लिए आंखें नम कीजिए…” ने अन्य कई गजलों से सभी श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर मंच की तरफ ध्यान एकाग्रित किया। इटावा के कवि मयंक बिधौलिया ने “नारी को सम्मान दिलाओ भारत भाग्य विधाता का, बलात्कार की हर दोषी को लाल किले पर फांसी दो” रचना प्रस्तुत की। लाफ्टर चैंपियन कवि हेमंत पांडे ने अपनी हास्य रचनाओं से समाज की कुरीतियो,अवस्थाओं व समसामयिक समस्याओं पर तीखे व्यंग्य बाण छोड़ सभी को तालिया के बीच खूब गुदगुदाया।वाह भाई वाह फेम सूरदास कवि अकबर ताज की कौमी एकता पर प्रस्तुति “सभी रहमान वाले हैं सभी भगवान वाले हैं और हमें गीता भी प्यारी है हमें कुर्बान भी प्यारी है,हमारे दुश्मन ना टकराना हमसे हम हिंदुस्तान वाले हैं” ने श्वेताओं की खूब तालियां बटोरी और अन्य प्रस्तुतियो पर सभी ने सूरदास कवि की हौसला अफजाई की।
मध्य रात्रि के बाद गीतों के राजकुमार कवि विष्णु सक्सेना ने जब माइक संभाला तो श्रोताओं को प्रेम,प्यार, इश्क,मोहब्बत के मधुर कंठ गीतों से अपनी ओर सम्मोहित कर “चांदनी रात में रंग ले हाथ में जिंदगी को नया मोड़ दें, तुम हमारी कसम तोड़ दो हम तुम्हारी कसम तोड़ दें”को इस तरह प्रस्तुत किया कि श्रोता भी तालिया के बीच उनके साथ गुनगुनाने लगे।ज्यो- ज्यो गीतों का सिलसिला आगे चलने लगा गीतकार विश्व सक्सेना के गीतों के जादू का असर श्रोताओं के मन पर होने लगा और वंस मोर वंस मोर की आवाज आने लगी। प्यार की होड में, दौड़ कर देखिए..,कल सपने में मांग भरी थी..,तू हवा है तो कर ले अपने हवाले…,एक से एक बढ़कर गीत प्रस्तुत किये।अंत में हापुड़ के वीर रस कवि डॉ अर्जुन सिंह भदोरिया ने आन बान शान पर न दाग लगने दिया है, भारतीय तिरंगा का मान न झुकने दिया है। ना गोली ना कोई दीवार भगत सिंह को रोक सकी, जो तूफानों में चलते हैं,वह देश युवा बदलते हैं। तुम्हें अभिमन्यु की तरह महाभारत लड़ना है आदि देशभक्ति गीत की प्रस्तुत से उपस्थित दर्शकों में नई चेतना जाग गई।

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