उर्स-ए-रज़वी में लाखों अकीदतमंदों ने की शिरकत।

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ब्यूरो नागेश गुप्ता

जो सब से बड़ा आशिके रसूल वही देश का वफादार है:मुफ्ती सलीम नूरी

बरेली,उर्स ए रज़वी के आखिरी दिन आला हज़रत फाजिले बरेलवी के कुल शरीफ के साथ तीन रोज़ा उर्स का समापन हो बरेली रज़ा नगरी में रज़वी दीवानों का उमड़ता सैलाब नज़र आया। शहर के हर तरफ जायरीन ही नज़र आ रहे थे। आज आ आगाज़ रज़ा मस्जिद में कुरानख्वानी से हुआ। सुबह 8 बजे महफ़िल का आगाज़ दरगाह प्रमुख हज़रत मौलाना सुब्हान रज़ा खान(सुब्हानी मियां) की सरपरस्ती,सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन रज़ा क़ादरी(अहसन मियां) की सदारत व सय्यद आसिफ मियां और राशिद अली खान की देखरेख में इस्लामिया मैदान में कारी ज़ईम रज़ा मंज़री ने किया। कुल के बाद सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन मियां मारहरा के सज्जादानशीन हज़रत मौलाना सय्यद नज़ीब हैदर(नजीब मियां और नबीरे आला हज़रत मौलाना तौसीफ मियां ने मुल्क ए हिंदुस्तान समेत दुनियाभर में अमन ओ शांति की दुआ की। मुफ्ती अहसन मियां ने मुफ्ती सलमान अजहरी की रिहाई के अलावा फिलिस्तीनी मुसलमानो के लिए दुआ की। इससे पहले मिलाद ए नज़राना हाजी गुलाम सुब्हानी व आसिम रज़ा ने पेश किया। इंग्लैंड,मारीशस,आस्ट्रेलिया,साउथ अफ्रीका,नेपाल,श्री लंका,दुबई, सऊदी अरब के अलावा मुल्क के कोने-कोने से जायरीन ने शिरकत की। दिन भर दरगाह पर गुलपोशी और फतिहाखवानी का सिलसिला चलता रहा। इसके बाद हम्द,नात-मनकबत का नज़राना इंग्लैंड से आए मुफ्ती कमर रज़ा मरकजी,अमान मियां रिज़वान रज़ा रिज़वानी आदि ने पेश किया। मेहमान ए खुसूसी मारहरा शरीफ के सज्जादानशीन हज़रत मौलाना सय्यद नजीब हैदर ने कहा की हम अपने हक़ की लड़ाई अपने मुल्क द्वारा बनाए कानून के दायरे में रहकर लड़ाई जारी रखे। आगे कहा कि मैं अली की औलाद हूं और मेरे रगों में मौला अली,शहीद ए कर्बला हज़रत इमाम हुसैन का खून है। हम हक बयान करने आए है। अल्लाह के रसूल के खलीफा है उनमें पहला नंबर हज़रत अबूबकर सिद्दीक,दूसरा हज़रत उमर फारूक,तीसरा हज़रत उस्मान गनी का और चौथा नंबर हज़रत अली का है। सोशल मीडिया और यू ट्यूबर वाले उलेमा से दूर रहे। नबीरे आला हज़रत मौलाना तौसीफ रज़ा खान(तौसीफ मियां) ने कहा की आदम अलैहिस्सलाम का जिसने दामन पकड़ लिया वो पार पा गया और जिसने इबलीस का साथ पकड़ा वो हलाक हो गया। जो नबी करीम के बताए रास्तों पर चलते हुए अहले हक पर रहा वहीं फ़ैज़ पा गया।
नबीरे आला हज़रत मुफ्ती अर्सलान रज़ा क़ादरी ने आला हज़रत फाजिले बरेलवी इस दुनिया से 1921 तशरीफ़ ले जाने के बाद सुन्नियत पर हर तरफ से हमले हो रहे थे ऐसे वक्त में आला हज़रत के दोनो शहज़ादे हुज्जातुल इस्लाम और मुफ्ती ए आज़म ने सन 1925 में एक मुहिम छेड़ी जिसमें आपसी मतभेद भुलाकर मुल्क भर के उलेमा की राय से मज़हबी और मसलकी मामलात के अलावा कौमी, मिल्ली,सियासी मसाइल के लिए काम किया। आज फिर उसी दौर की ज़रूरत है सभी सुन्नी खानकाहे और उलेमा एक जुट होकर काम करे।
मुफ्ती सलीम नूरी बरेलवी ने कहा कि जो सबसे बड़ा आशिके रसूल वही सच्चा मुसलमान सबसे बड़ा देश का वफादार है। मुसलमानो को अपने देश प्रेमी होने का किसी से प्रमाण की जरूरत नही है। हम अपने मज़हब और मुल्क के सच्चे वफादार बने रहे। मुसलमानो को आपने आप को कम तर न आके। आला हजरत का वफादार कल भी अपने मज़हब का और अपने मुल्क का वफादार है और रहेगा। बड़े बड़े सुन्नी उलेमा ने देश के लिए अपनी जान देकर कुर्बानियां दी है। सोशल मीडिया पर गैर मसलक के लोगो की तकरीर सुनने से परवेज़ करे। नशे और जुए,शराब जैसी सामाजिक बुराइयों से दूर रहे। लड़कियों के लिए सरकार द्वारा मानक पूरे कर स्कूल खोले जाएं तालीम को आम करने का काम करे। हज़रत मुफ्ती रहमानी मियां साहब के नवासे सय्यद सैफ मियां ने आला हज़रत की नातिया शायरी से नबी करीम की अजमत बयान की। आगे कहा कि अल्लाह ने इमाम अहमद रज़ा फाजिले को इल्म का जो खज़ाना मिला सब नबी करीम का अता किया तोहफा है।
संचालन(निजामत) कारी यूसुफ रजा संभली ने कहा कि आला हज़रत ने मुसलमानो को इश्क़ ए रसूल की घुट्टी पिलाई। जब-जब मज़हबी,रूहानी, खानकाही ज़रूरत पेश आला हजरत और उनकी औलादों ने कयादत(नेतृत्व) फरमाई। आला हज़रत ने इश्के रसूल की बुनियाद पर इल्म के गहरे समंदर में डूब कर बेश कीमती मोती हासिल कर लिए थे। आज उसी इल्म से दुनिया फैज़ पा रही है। *उर्स की महफिल में लोगो ने मुफ्ती सलमान अजहरी के लिए रिहाई की मांग की। इस पर मदरसा मंजर ए इस्लाम के सदर *मुफ्ती आकिल रजवी* ने सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन मियां के हुक्म से एलान किया की बरेली मरकज हमेशा उनके साथ है और आगे भी रहेगा। उनकी रिहाई के लिए हर संभव कोशिश की जा रही है। मरकज को जब ज़रूरत आएगी तब आपको लब्बैक कहना है। सब्र से काम ले। दीन के खातिर बड़े-बड़े उलेमा जेल गए। वक्त आने पर उनको भी अल्लाह की तरफ से राहत मिली। साथ ही मुसलमान इस्लाम और सामाजिक बुराइयों से दूर रहे। क्योंकि खुदा के कानून से बगावत करने वालों को कोई देश की हुक़ूमत राहत नही मिल सकती।
कारी इकबाल रज़ा मुरादाबादी ने कहा मसलक आला हज़रत ही मसलक अहले सुन्नत और मसलक ए हक है इसी पर सख्ती से कायम रहे। मौलाना सलीम रज़ा नेअपनी तकरीर में कहा कि आज का मुसलमान सोशल मीडिया का इस्तेमाल सिर्फ और सिर्फ अपनी ज़रूरत के मुताबिक करे। दीनी मसले-मसाइल सुन्नी उलेमा से ही सीखे न की सोशल मीडिया से। मौलाना आफाक रज़ा ने कहा आला हज़रत अपनी पूरी जिदंगी लोगों के दिलों पर राज करते रहेंगे। मुफ्ती फारूक रज़ा कश्मीरी ने कहा कि हिंद में कन्या कुमारी से लेकर कश्मीर तक आला हज़रत की तालीमत(शिक्षा) पर अमल किया जा रहा है। बरेली के मरकज पर पूरी दुनिया को फख्र है।
मुफ्ती अय्यूब खान नूरी ने कहा कि कुछ जगह आज मुफ्ती ए आज़म के फतवे के खिलाफ लाउडस्पीकर से नमाज़ अदा कराई जा रही है। मुफ्ती आज़म हिंद ने माइक से नमाज़ अदा करने को मना फरमाया इससे बचे।
मुफ्ती इमरान हनफी ने कहा की आज दुनिया का समझे बड़ा समाज सुधारक कोई है तो हमारे नबी है जिन्होंने इंसान ही के हक के लिए अपनी आवाज बुलंद नही की। बल्कि पशु पक्षियों के हक की भी बात की।आज उन्ही जात पर कुछ देश के गद्दार न ज़ेबा बयानवाजी कर रहे है। हमारा मुल्क हिंदुस्तान महान है जिसमें गरीब नवाज़ अजमेरी बरेली के आला हजरत आराम फरमा है। मौलाना जाहिद रज़ा बरेलवी ने कहा की आला हज़रत की सबसे बड़ी करामत फतावा रजविया और कंजुल ईमान है। इन्होंने मुसलामानों से सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन मियां का पैगाम सुनाने हुए कहा कि मुसलमान शादियों,जुलूस में डीजे का इस्तेमाल हरगिज ने करे। बेटे बेटियों की शादी बिना नाच गाने के साथ सादगी से शहई दायरे में रहकर करे। मौलाना जिकरुल्लाह और मौलाना नेमतुल्लाह ने सहाबा इकराम की अजमत बयान करते हुए कहा की चारों सहाबा हम सुन्नियों के लिए अफ़ज़ल और काबिले एहतराम है। आगे कहा की आला हज़रत और बरेली का पैगाम मुहब्बत है उसको दुनिया भर में आम करे। इस्लाम का अहम फर्ज़ नमाज़ है और हमारे नबी की आंखो का सुकून है इसलिए मुसलमान कितने भी परेशानी में हो नमाज़ अपने वक्तो पर ही अदा करे। मुफ्ती सगीर अहमद जोखनपुरी ने कहा की आला हज़रत ने हिंद ही नही अरब की धरती पर अपने इल्म का लोहा मनवाया। जिसकी मिसाल अल दौलत मक्किया है। आला हज़रत ने अपनी पूरी जिदंगी एक भी फतवा बिना तहकीक के नहीं लिखा।
मुफ्ती गुलफाम रामपुरी ने कहा मुसलमान अपनी जिंदगी इस्लाम के मुताबिक गुजारे। इश्क ए मुस्तफा के में डूब कर सुन्नीयत के मिशन के लिए काम करते रहे। दरगाह के नासिर कुरैशी ने बताया कि ठीक 2 बजकर 38 मिनट पर खानकाहे तहसीनिया के सज्जादानशीन हज़रत हस्सान रज़ा खान(हस्सान मियां) हज़रत सिराज मियां,मुफ्ती फ़ैज़ मियां,सूफी रिज़वान मियां आदि की मौजूदगी में कारी ज़इम रज़ा अली व कारी रज़ा अली,कारी अमान रज़ा ने फातिहा शिजरा नबीरा आला हज़रत शीरान रज़ा खान ने पढ़ा। दुआ की बाद सलातो सलाम महशर बरेलवी ने पढ़ा। मौलाना मुख्तार बहेडवी,मौलाना इंतज़ार क़ादरी,मौलाना कमाल मुस्तफा,मौलाना नूर अहमद अजहरी,मुफ्ती अख्तर,मुफ्ती अफरोज आलम, कारी अब्दुल रहमान,मौलाना बशीर उल कादरी आदि लोग मौजूद रहे। कुल के बाद हजारों लोग दरगाह प्रमुख हज़रत सुब्हानी मियां के हाथो मुरीद हुए।

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