*सियासी दुश्मनों का खुला राज़
*उमेश को नीचा दिखाने के लिए अपना सकते हैं हर हथकंडा
ब्यूरो – नागेश गुप्ता
बरेली : मोहब्बत और जंग में सब कुछ जायज़ है,कभी यह बात कही जाती थी,लेकिन अब इसमें सियासत भी शामिल हो गई लगती है.बरेली में पिछले कुछ दिनों में उठा गैंग रेप का एक मुद्दा और फिर उसका पटाक्षेप बता रहा है कि सियासत में किसी को चित करने के लिए कोई कहाँ तक गिर सकता है.
जी हाँ, हम बात कर रहे हैं,बरेली के निवर्तमान मेयर उमेश गौतम की.उमेश गौतम ने बरेली की सियासत में जिस तेजी से अपने को स्थापित किया,उससे बरेली के तमाम नेताओं में बेचैनी पैदा हो गई थी.पिछले निकाय चुनाव में उमेश गौतम जिस तरह से बीजेपी का टिकट लाए,और फिर मेयर बने,उससे बीजेपी के ही कई बड़े नेताओं की आँख में वह खटकने लगे थे.पिछली बार उनके बीजेपी से टिकट के मामले में कई बड़े नेताओं ने विरोध में पूरा दम लगाया था,लेकिन उमेश गौतम के बिछाए जाल में वह सब फंस गए,और उमेश गौतम को टिकट मिलने से नहीं रोक पाए.
खैर,अब फिर जब नगर निगम का चुनाव होने को आया,तो उमेश के खिलाफ उनके विरोधियों ने जाल बिछाना शुरू कर दिया.इस बार कोशिश की गई कि उमेश को पहले ही पायदान पर पटखनी दे दी जाए,और इसके लिए बरेली नगर निगम की सीट को ओबीसी के खाते में डलवाने की कोशिश शुरू हुई,लेकिन जब आरक्षण घोषित हुआ,तो सबकी हवा निकल गई.सीट अनारक्षित घोषित हुई.चर्चा चल निकली कि उमेश गौतम ने अपने प्रयासों से आखरी वक़्त में सीट अनारक्षित करा ली.
उधर जब इलेक्शन टले, तो उमेश को घेरने की कोशिशें फिर शुरू हो गईं.उन पर एक महिला ने गैंग रेप में शामिल होने का आरोप लगाया,तो सियासी हलकों में सनसनी फैल गई.उमेश गौतम ने अपने रसूखों का इस्तेमाल किया,और बहुत कम वक्त में ही इस केस का पटाक्षेप भी हो गया.आरोप लगाने वाली महिला मुकर गई, और उसने उमेश गौतम को कलीन चिट दे दी.पुलिस जो पहले से इस लाइन पर मन बनाए बैठी थी,उसको यह सहारा काफी रहा,और उमेश गौतम पर लगा यह आरोप भरभरा कर ज़मीन पर आ गया.
अब चूंकि उमेश गौतम भी सियासत के कम माहिर खिलाड़ी नहीं रहे.सियासी हवा को अपनी तरफ मोड़ने के लिए ज़रूरी चीज़ें उनके पास मौजूद हैं,और वह उनका दिल खोलकर इस्तेमाल भी करते हैं.उन्होंने यह बात ऊपर तक ज़ाहिर करा दी कि बीजेपी के कुछ नेता उनको नीचा करने के लिए लगे हुए हैं,और इस नीच हरकत तक जा सकते हैं.
खैर उमेश गौतम की सियासत के लिए उन पर लगा यह रेप का आरोप भी फायदेमंद ही रहा,क्योंकि यह आरोप आवाम के गले तो पहले रोज़ ही नहीं उतरा,अब इसके झूठा साबित होने के बाद यह और ज़ाहिर हो गया कि उमेश की शख्सियत से कई नेता कितना घबराए हुए हैं,और उनके खिलाफ किस हद तक साज़िश रच सकते हैं.