पत्रकारिता के पुरोधा शहीद गणेश शंकर विद्यार्थी जी की 133 पुण्यतिथि पर भारतीय पत्रकारिता उनको श्रद्धा सुमन अर्पित करती है – लेखक वरिष्ठ पत्रकार संतोष गंगेले कर्मयोगी
भारत देश की आजादी के लिए अपना जीवन न्योछावर करने वाले भारतीय पत्रकारिता के पुरोधा शहीद गणेश शंकर विद्यार्थी का जन्म अश्विन शुक्ल चतुर्दशी संवत 1947 दिनांक 26 अक्टूबर 1890 को श्रीमती गोमती देवी श्रीवास्तव (कायस्थ) की कोख से हुआ, उस समय श्रीमती गोमती देवी अपने पिता जी के घर अतरसुइया मोहल्ला इलाहाबाद प्रयाग में थी इसलिए उनका जन्म ननिहाल में हुआ । इनके पिता का नाम बाबू जय नारायण लाल एक शिक्षक थे , वह परिवार ग्वालियर जिला के मुंगावली में रहा करता था, । साम्प्रदायिक एकता के प्रतीक अमरशहिद गणेश शंकर विद्यार्थी जी के प्रपितामह (परदादा) का नाम मुंशी देवी प्रसाद था जो हथगाँव जिला फतेहपुर उत्तर प्रदेश के निवासी थें । इनके दादा जी का नाम बंषगोपाल उनके पुत्र बाबू जय नारायण लाल थें जो शिक्षक रहे । गणेश शंकर विद्यार्थी जी का विवाह 19 वर्ष की आयु में हो गया था । अपनी अल्प आयु में जो कार्य किए वह समाज व देश हितों के लिए किए गये , उन्हे भारतीय इतिहास में उचित स्थान दिया गया है । देश की स्वतंत्रता के लिए किए गए गणेश शंकर विद्यार्थी जी के सराहनीय प्रयासों को कभी भुलाया नहीं जा सकता हे । उन्होंने जाति – धर्म के भेदभाव को मिटाकर मानव-धर्म को सर्वोपरि माना और अंततः इसी के लिए उन्होंने अपने प्राणों को भी बलिदान कर दिया । विद्यार्थी जी देष भक्त, समाजसेवी, कुशल वक्ता और महान राजनीतिज्ञ ही नही , बल्कि वह देष के निर्भीक पत्रकारों में से थे । अंग्रेजों की गुलामी के समय भारत देश में हिंदी पत्रकारिता के क्षेत्र में कर्मयोगी और उर्दू में स्वराज नामक समाचार पत्रों के माध्यम से विद्यार्थी जी ने अपनी लेखनी से लिखना शुरू किया था, देश के लोगों को जगाने का काम यहीं से शुरू किया । जब विद्यार्थी जी को यह लगने लगा कि हम अपनी लेखनी स्वतंत्र नहीं चला पाते है तो उन्होंने अपना स्वयं का समाचार पत्र प्रताप का प्रकाशन किया । उनकी पत्रकारिता का उद्देश्य मानव जाति का कल्याण का उद्देश्य रहा उन्होंने हमेशा प्रताप समाचार पत्र के माध्यम से गरीब, असहाय, जनता की आवाज बुलंद किया करते थे ।
गणेश शंकर विद्यार्थी प्रेस क्लब प्रान्तीय समिति के संस्थापक अध्यक्ष , राष्ट्रीय आदर्श शिक्षा रत्न उपाधि से सम्मानित संतोष गंगेले कर्मयोगी ने विद्यार्थी जी के जीवन एवं उनके कर्मयोग को जन जन पहुंचाने के लिए मानव सेवा, समाज सेवा, भारतीय संस्कृति-संस्कारों के साथ साथ वर्तमान मीडिया में स्वतंत्र पत्रकारिता, साहित्यकार, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, सोशल मीडिया को एक माला में पिरो कर कार्य करने का संकल्प लिया है । इस संस्था में समाज के नीचे से उच्च स्थान तक बैठे लोगों को उनका मान सम्मान दिलाने एवं पत्रकारिता को निष्पक्ष एवं सेवा भावना के साथ कार्य करने पर बल दिया है । साहसी, बुद्धिमान, योग्यता के साथ साथ मानवता के धनी गणेश शंकर विद्यार्थी जी ने अपने मित्र पंडित सुन्दर लाल के सम्पर्क में आने के बाद उन्हे पत्रकारिता से मोह हो गया और उन्होंने क्रांतिकारी महर्षि अरविन्द घोष के कर्मयोगिन से प्रभावित होकर एक पत्र कर्मयोगी समाचार पत्र को अपने लेख लिखने लगे यही से उन्होने पत्रकारिता की शुरुआत की इसके बाद अनेक समाचार पत्रों से जुड़ते चले गये । उन्होने आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी के सरस्वती समाचार पत्र में संपादक के साथ अनेक सालों तक वह पत्रकारिता के साथ जुड़े रहे । उन्होंने तय किया कि वह देष की स्वाधीनता के लिए स्वयं अपना समाचार पत्र प्रकाशित कर कार्य करेंगे ।
उन्होने अभ्युदय समाचार पत्र से कार्य छोड़कर पंडित शिवनारायण मिश्र के साथ विचार विमर्श करने के बाद स्वयं का समाचार पत्र प्रकाशित करने का तय किया । विधिक कार्यवाही करने के बाद 9 नवम्बर 1913 को प्रताप समाचार पत्र का उदय हुआ । देश व समाज के लिए समाचार प्रकाशित करने का हौसला बुलंद किया । अंग्रेजी हुकूमत के सामने झुके नही जिस कारण अनेकों वार प्रताप समाचार पत्र को बंद किया गया था गणेश शंकर विद्यार्थी जी को जेल भेजा गया ।
23 मार्च 1931 को क्रांतिकारी सरकार ने सरदार भगत सिंह, राजगुरु सुखदेव तीनों वीर सपूतों को फांसी दी जिससे जनता बौखला गई तथा सरकार के खिलाफ नारे बाजी दंगों में परिवर्तन हो गई । कानपुर में हिन्दू मुस्लिम दंगों को अनेकवार रोकने के बाद भी दंगे समाप्त करने का पूरा प्रयास किया । 25 मार्च 1931 को अपने साथी राम रतन गुप्त जी चैने गोला मोहल्ला से होते हुए मठिया पहुंचे जहां कुछ देशद्रोही लोगों ने घेरकर गणेश शंकर विद्यार्थी जी की हत्या कर दी । गणेश शंकर विद्यार्थी जी ने अपने जीवन में कभी किसी को धोखा नहीं दिया, मानव सेवा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी थी । उन्हीं के विचारों से प्रभावित होकर हरिहर भवन नौगांव (बुन्देलखण्ड) में उनके नाम से एक पत्रकारों का संगठन 1 जनवरी 2013 को गठित किया गया जिसका नाम गणेश शंकर विद्यार्थी प्रेस क्लब दिया गया । इस संस्था का पंजीयन 22 जनवरी 2013 को सागर से पंजीयन कराया गया। जिसका पंजीयन संख्या क्रमांक 06 /03 /09528 /13 के माध्यम से सम्पूर्ण मध्य प्रदेश में शाखाएं गठित की गई। संस्था के आधार स्तंभ सदस्यों ने प्रदेश का भ्रमण भी किया। संस्थापक सदस्य राजेंद्र कुमार राजेश शिवहरे लोकेन्द्र मिश्रा कौशल किशोर रिछारिया भगवान दास कुशवाहा कमलेश जाटव अपनी सेवाएं आज भी दे रहें है।
इस संस्था का पंजीयन होकर मध्य प्रदेश के लगभग 50 जिलों में समितियां गठित कर समूचे प्रदेश में संस्था ने एक ईमानदार प्रेस क्लब संगठन के रूप में अपनी पहचान बनाई कोरोना काल के बाद से संगठन में नई कमेटियां का परिवर्तन नहीं किया जा सका जिसके लिए प्रयास किये जा रहें है । गणेश शंकर विद्यार्थी प्रेस क्लब संस्था मध्य प्रदेश के प्रत्येक जिला, तहसील, थाना व ग्राम पंचायत स्तर तक पहुँचने के लिए लगातार मीडिया से जुड़ें लोगों के संपर्क में है । इसका कार्यक्षेत्र सम्पूर्ण मध्य प्रदेश बनाया जाना है । गणेश शंकर विद्यार्थी प्रेस क्लब के संस्थापक प्रदेश अध्यक्ष -संतोष गंगेले कर्मयोगी ने अपना जीवन इस संस्था एवं संगठन को समर्पित करते हुए प्रदेश में गणेश शंकर विद्यार्थी जी के जीवन से प्रभावित लोगों को समिति में स्थान देने पर बल दिया है । शहीद गणेश शंकर विद्यार्थी हिन्दी पत्रकारिता के पुरोधा, देश के सुधारवादी नेता , स्वाधीनता आन्दोलन के कर्म सिपाही रहे । उनकी जयंती पर प्रेस क्लब उन्हें याद करते हुए उनके पदचिन्हों पर चलने का प्रयास जारी रहेगा ।
गणेश शंकर विद्यार्थी प्रेस क्लब संस्था मध्य प्रदेश का एक विशाल सम्मेलन राजगढ़ (ब्यावरा) की तहसील जीरापुर में भोपाल के संभागीय अध्यक्ष श्री माखन विजयवर्गीय, जिला अध्यक्ष श्री दिनेश जमीदार डॉ बी एल गुर्जर ओ पी गुप्ता खिलचीपुर के सहयोग से संपन्न हुआ, जो ऐतिहासिक आयोजन गिना जायेगा । इस सम्मेलन में प्रदेश के चार सौ से अधिक पत्रकारों ने भाग लिया। दूसरा सम्मलेन खिलचीपुर राजगढ़ में संसद सदस्य , विधायक तथा कमिटी के पदाधिकारी ने कराया जी इतिहासिक रहा। इंदौर में तीन सम्मलेन श्री आदित्य उपाध्याय जी ने कराए देवास सीहोर विदिशा सागर शिवपुरी ग्वालियर जबलपुर आगरमालवा उज्जैन बालाघाट जैसे बड़े -बड़े शहरों में हुए जो अपने आप में एक कहानी कहती है। चूँकि इस संस्था ने आज तक किसी भी प्रकार से चंदा नहीं लिया है। संस्था के सभी पदाधिकारियों और सदस्यों ने हमेशा स्वच्छ पत्रकारिता के साथ समाज सेवा की है। गणेश शंकर विद्यार्थी प्रेस क्लब प्रान्तीय समिति के संस्थापक अध्यक्ष , राष्ट्रीय आदर्श शिक्षा रत्न उपाधि से सम्मानित संतोष गंगेले कर्मयोगी ने अपनी 42 वर्ष की पत्रकारिता में कभी अपनी कलम को बिकाऊ नहीं किया और कलंकित भी नहीं होने दी जिससे प्रदेश में उनका आज भी एक ईमानदारी छवि है।
गणेश शंकर विद्यार्थी प्रेस क्लब संस्था मध्य प्रदेष ने अपने एक वर्ष के कार्यकाल में प्रदेश के अंदर ऐसो आश्चर्यजनक कार्य किए है जिससे आम जनता को आशा नहीं थी, आने वाले समय में प्रदेश के महान पत्रकारों , साहित्यकारों को इस संगठन में स्थान देकर संगठन प्रदेश में अपनी पहचान बनाने जा रहा है । सीहोर मध्य प्रदेश के बरिष्ठ पत्रकार श्री राजेश शर्मा जी को बर्ष 2023 का प्रदेश अध्यक्ष की जुम्मेदारी सौपीं जा रहीं है।