सरोजनीनगर। देश भर की लोकतांत्रिक संस्थाएं आज सकट की स्थिति में है। इनमें उत्तर प्रदेश में ग्राम पंचायतीसंस्थाओं की स्थिति सबसे चिंताजनक है। उत्तर प्रदेश में ग्राम पंचायतों, नगर पंचायतों और उससे जुड़ी संस्थाओं की स्थिति लोकतांत्रिक मर्यादा का निर्वाह करने में पूरी तरह असमर्थ है, कारण है राज्य सरकार द्वारा इन्हें संविधान प्रदत्त अधिकारों से लगातार वंचित रखना एवं सत्ता के विकेंद्रीकरण की कि मूल लोकतांत्रिक भावना को खत्म करने वाली व्यवस्था के कारण उत्तर प्रदेश में स्थानीय निकाय प्राधिकारी चुनाव में एमएलसी चुनाव में पंचायत क्षेत्र से 36 प्रतिनिधि चुने जाते है। यह विभिन्न राजनितिक पार्टियों एवं व्यवसायिक घरानों से संबद्ध होते है। पंचायत संगठनों के संघर्षशील प्रतिनिधियों के रूप में इनकी कोई भूमिका नहीं होतीहै। पंचायतों को अधिकार दिलाने की बात हो या खत्म हो रहे अधिकारों को बनाए रखने के लिए संघर्ष करने की बात हो इन 36 प्रतिनिधियों की कोई भूमिका दिखाई नहीं देती। न तो अखबारों में इनके बयान दिखाई देते हैन सड़कों प प्रतिरोध करने की कोई अपील दिखाई देती है।