मेरी सांसें हैं अरमान मेरी
शुभ ख्वाहिश है इंसान मेरी
क्या दूं अपनी पहचान कहो
मेरी कविता है पहचान मेरी।।
क्या नाम कहूं क्या घर बोलो
यश क्या अपयश नरवर बोलो
परिवार कहां अपने है कहां
कविता बिन क्यू सपने हैं कहां
जो भी है कविता जान मेरी।।
इसके हर शब्द हैं धन मेरा
छंदों में नहाता तन मेरा
है भूषण चैल ही अलंकार
इसका रस है जीवन मेरा
मति करती जिसका पान मेरी।।
गुण रीति यही व्यवसाय मेरा
इसका अध्ययन है ध्यान मेरा
कुछ और नहीं सब कुछ कविता
बस एक यही है शान मेरा
ढूंढे साहित्य जहान मेरी।।
नित वाक्य यही परिवार मेरा
यह काव्य मात्र संसार मेरा
जिसमें रमता रहता प्रतिपल
वो पद ही है बस प्यार मेरा
ये ही शुभ चिंतक गान मेरी।।
इसका कागज कविता मेरी
इसकी लेखनि सविता मेरी
जिससे रंग उठता है जग ये
वो स्याही है सरिता मेरी
ये संग न मति सूनसान मेरी।।
आचार्य आशीष पाण्डेय
पता सुल्तानपुर उत्तर प्रदेश