शीर्षक–मैं किन्नर हूं

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शीर्षक–मैं किन्नर हूं

मैं किन्नर हूं किन्तु
जगत से पूजित हूं

मैं रूप अनेकों हूं धरता
मैं राज सतत जग पर करता
मेरी कोई अभिज्ञान नहीं
मैं हर मुख में गूजित हूं

एक जगह पर केवल न
है जगह जगह पर धाक मेरी
अधिकार कोई न कर सकता
स्वच्छंद विहग मैं कूजित हूं

करूं कृपा मैं जिस पर भी
परिपूर्ण करूं धन धान्य उसे
फिर शेष कोई ऐश्वर्य नहीं
मैं उत्तम हूं किन्तु शापित हूं।।

आचार्य आशीष पाण्डेय

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