बरेली : बड़ी से बड़ी मुसीबत में भी नहीं छोड़ा पार्टी का दामन: नरेश शर्मा

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*पार्टी के प्रति पूरी तरह से समर्पित हैं

*पैंतीस बरसों से थामें है भाजपा का झंडा

*सच्चे निष्ठावान कार्यकर्ताओं को भाजपा नहीं देती कोई तवज्जो

बरेली। पैसा आज हर जगह हावी हो चला है, ना तो पार्टी के समर्पित कार्यकर्ताओं की कद्र है, और नाउ जिताऊ-टिकाऊ का कोई फंडा देखा जा रहा है। यह दर्द है बरेली में दो बार पार्षद बने और 35 साल से बीजेपी के सच्चे सिपाही की तरह काम करने वाले नरेश शर्मा उर्फ बंटी का, पार्टी छुड़ाने को तमाम अपने-परायो के दबाव को नकार कर पार्टी के साथ खड़े रहने वाले नरेश शर्मा ने जब बीए न्यूज़ से बात की तो उनके दिल की तड़प और दर्द दोनों कई बार सामने आए, तमाम यह बातें भी जो ना चाहते हुए कहे गए, जो आमतौर पर जुबान पर नहीं लाते है, नरेश शर्मा नगर निगम के पार्षद हैं दूसरी बार भी उन्होंने नगर निगम पार्षद का चुनाव भाजपा के सिंबल पर जीता। कहने को पार्षद के चुनाव में उनके सामने कई दिग्गज प्रतिद्वंदी उनके साथ चुनाव मैदान में कूदे। लेकिन नरेश शर्मा की लोकप्रियता और खुशमिजाजी के चलते उनके प्रतिद्वंद्वियों को हार का सामना करना पड़ा, और नरेश शर्मा भारी मतों से विजई भी हुए।
नरेश शर्मा नगर निगम में उपसभापति के पद को भी सुशोभित कर चुके हैं। बह भारतीय जनता पार्टी का झंडा तब से उठाए हुए हैं, जब बीजेपी के कार्यकर्ताओं की गिनती उंगलियों पर हो जाती थी। 35 साल के अपने इस राजनीतिक सफर में उन्होंने तमाम प्रकार के उतार चढ़ाव देखे यहां तक कि उन पर उनके अपनों ने ही उन पर पार्टी छोड़ने का दबाव बनाया, तो कभी गोलियों की तड़तड़ाहट को भी देखा। भावनाओं ने जोर भी मारा मगर पार्टी की वफादारी उन पर भारी रही। नरेश शर्मा बताते हैं: पूर्व विधायक सुमन लता सिंह उनकी मां है, वह भाजपा छोड़कर बसपा में शामिल हुई तो उन पर पार्टी छोड़ने का काफी दबाव बना, रिश्तो की दुहाई के साथ ही भावनाओं को भी उकेरा गया, वह कहते हैं यह वक्त भावनाओं में बह जाने का खतरा भी बन गया लेकिन पार्टी की वफादारी भारी पड़ गई, और ऐसी कठिन परिस्थितियों में भी उन्होंने भाजपा को नहीं छोड़ा।
नरेश शर्मा एक बार गोलीबारी होने का भी जिक्र करते हैं लेकिन वह कहते हैं कि उस दबाव में भी उन्होंने पार्टी का दामन नहीं छोड़ा।
पार्टी की इतने वर्षों तक लगातार सेवा कर रहे नरेश शर्मा को टटोलने पर उनका कहना था कि वह नगर निगम में महापौर का चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं, लेकिन अगर चुनाव लड़ेंगे तो पार्टी के सिंबल पर ही उनकी यह शर्त है पार्टी से टिकट चाहते हैं। लेकिन टिकट बंटने केवट उन्हें पीछे ढकेल दिया जाएगा, इस बात का डर उन्हें सताता रहता है। वह कहते हैं: जिताऊ और टिकाऊ प्रत्याशी की ओर पार्टी नहीं देखती है बस इसी बात का शिकवा है, क्योंकि पैसे वालों के आगे कुछ नहीं देखा जाता है पार्टी के समर्पित कार्यकर्ताओं की अनदेखी कर दी जाती है। उन्होंने कहा कि अगर पार्टी ने उनको मौका दिया तो मैं बरेली मेयर का चुनाव लड़ेंगे बशर्ते अगर पार्टी उन्हें टिकट देती है तो?
नरेश शर्मा भारतीय जनता पार्टी के कर्मठ इमानदार और जुझारू कार्यकर्ता है। वह पार्टी में कई जिम्मेदार पदों पर रह चुके हैं, और मौजूदा वक्त में जिस क्षेत्र से मैं भारतीय जनता पार्टी की नुमाइंदगी करते हैं उस क्षेत्र में भाजपा का परचम लहराना कोई आसान काम नहीं है। क्योंकि उनके क्षेत्र में घर-घर में एक नेता है। लेकिन इन सबके बावजूद नरेश शर्मा की क्षेत्र में अपनी एक अलग ही पहचान है। उनकी लोकप्रियता उनके क्षेत्र में जाकर बहुत ही आसानी से महसूस की जा सकती है। भाजपा को ऐसे कर्मठ इमानदार और जुझारू कार्यकर्ता को भी मौका देना चाहिए

बरेली से नागेश गुप्ता की ख़बर

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